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UP विधानसभा उपचुनाव की घोषणा, जानें किन 10 सीटों पर होगी वोटिंग?

UP Byelection News

Edited by; Jyoti Dewangan, Published by; 16 August 2024

उत्तर प्रदेश विधानसभा उपचुनाव; उत्तर प्रदेश में आगामी 10 विधानसभा सीटों के लिए उपचुनाव राजनीतिक दलों के लिए एक महत्वपूर्ण अवसर बन गया है, जिससे वे अपनी ताकत को प्रदर्शित कर सकते हैं और आगामी चुनावों के लिए अपनी स्थिति को मजबूत कर सकते हैं। इन उपचुनावों की तारीख की घोषणा के लिए सभी की निगाहें चुनाव आयोग पर टिकी हैं, और ऐसी उम्मीद जताई जा रही है कि 16 जुलाई को तारीखों का ऐलान किया जा सकता है।

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व वाली भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के लिए ये उपचुनाव एक महत्वपूर्ण मोड़ साबित हो सकते हैं। बीजेपी, जो वर्तमान में राज्य में सत्तारूढ़ पार्टी है, अपनी राजनीतिक स्थिति को और भी मजबूत करने के लिए कोई कसर नहीं छोड़ रही है। पार्टी नेतृत्व ने राज्य के सभी बड़े नेताओं को इन उपचुनावों में सक्रिय भूमिका निभाने के निर्देश दिए हैं। बीजेपी की रणनीति का मुख्य उद्देश्य है अधिक से अधिक सीटें जीतना और 2024 के लोकसभा चुनावों के लिए एक मजबूत आधार तैयार करना।

दूसरी ओर, विपक्षी दल भी इस अवसर को गंवाना नहीं चाहते। समाजवादी पार्टी (सपा) और बहुजन समाज पार्टी (बसपा) ने भी अपनी तैयारी शुरू कर दी है। अखिलेश यादव की सपा इस उपचुनाव में अपने राजनीतिक वर्चस्व को बनाए रखने की कोशिश कर रही है। सपा का फोकस उन क्षेत्रों पर होगा जहां पार्टी का परंपरागत जनाधार मजबूत है। सपा के नेता और कार्यकर्ता गांव-गांव जाकर लोगों से संवाद कर रहे हैं और उनके मुद्दों को उठाने का वादा कर रहे हैं।

बसपा, जो हाल के वर्षों में कुछ हद तक राजनीतिक परिदृश्य से बाहर हो गई थी, इन उपचुनावों में फिर से अपनी पकड़ बनाने की कोशिश कर रही है। मायावती के नेतृत्व वाली बसपा दलित और पिछड़े वर्गों के वोटरों को एकजुट करने की कोशिश कर रही है। मायावती ने अपने कार्यकर्ताओं को निर्देश दिया है कि वे हर बूथ पर सक्रिय रहें और लोगों के बीच जाकर बसपा के एजेंडे को पहुंचाएं।

इन उपचुनावों के परिणाम राज्य की राजनीति पर व्यापक प्रभाव डाल सकते हैं। जहां एक ओर बीजेपी अपने विकास कार्यों और कानून-व्यवस्था के मुद्दों को आधार बनाकर वोटरों को आकर्षित करने की कोशिश करेगी, वहीं विपक्षी दल बीजेपी के शासनकाल की खामियों को उजागर करने और जनसमर्थन हासिल करने की कोशिश करेंगे।

अंततः, इन उपचुनावों के परिणाम यह तय करेंगे कि उत्तर प्रदेश में कौन सी पार्टी आगामी विधानसभा और लोकसभा चुनावों में बढ़त बना सकती है। चाहे वह बीजेपी हो, जो अपने सत्तारूढ़ गठबंधन को मजबूत करने की कोशिश कर रही है, या सपा और बसपा, जो राज्य की राजनीति में अपनी उपस्थिति को पुनर्स्थापित करने की कोशिश कर रही हैं। इन उपचुनावों का परिणाम राजनीतिक समीकरणों को बदलने की क्षमता रखता है और राज्य के आगामी राजनीतिक परिदृश्य को परिभाषित कर सकता है।

उत्तर प्रदेश की जिन 10 विधानसभा सीटों पर उपचुनाव होने हैं उनमें कटेहरी (अंबेडकर नगर), करहल (मैनपुरी), मिल्कीपुर (अयोध्या), मीरापुर (मुजफ्फरनगर), गाजियाबाद, मझवां (मिर्जापुर), सीसामऊ (कानपुर नगर), खैर (अलीगढ़), फूलपुर (प्रयागराज) और कुंदरकी (मुरादाबाद) शामिल हैं. इन सीटों में से नौ सीट लोकसभा चुनाव में सपा विधायकों के सांसद चुने जाने के कारण खाली हुई हैं, जबकि सीसामऊ सीट सपा के इरफान सोलंकी को आपराधिक मामले में जेल की सजा होने के बाद उनकी सदस्यता रद्द होने के कारण खाली हुई है. ,

 

 

 

 

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