काका सुन ले गुहार, हम हैं बेबस लाचार। ……कोई नहीं सहारा, मासूम ने सीएम को पुकारा। जिंदगी बचाने की जद्दोजहद, पढ़िए बेबसी की दास्तान।
तड़प और बेबसी की कहानी जय कुमार की नम आंखें बखूबी बयां कर देती हैं। कोरबा के कोनकोना गांव निवासी जयकुमार का मासूम बेटा बादल जिंदगी की जंग लड़ रहा है। नौ साल का मासूम बादल चार साल पहले अनोखी बीमारी की चपेट में आ गया। पहले तो उसकी याद्दाश्त चली गई, फिर उसके शरीर ने काम करना बंद कर दिया। मजदूरी कर परिवार चलाने वाले जय ने बेटे के इलाज के लिए अपनी पूरी ताकत झोंक दी। कोरबा, रायपुर के बाद प्रयागराज तक अस्पतालों का चक्कर काटा। जिगर के टुकड़े की जिंदगी बचाने के लिए सारी संपत्ति गिरवी रख दी। पर रहस्यमय बीमारी से मासूम बादल को छुटकारा नहीं मिला। आखिरकार पैसे के अभाव में इलाज बंद हो गया। कोरबा जहां से राज्य सत्ता के धुरंधर सियासी कदों का जुड़ाव है, वहां एक गरीब बाप की गुहार सुनने वाला कोई नहीं। अब बेबस, लाचार, मजबूर पिता प्रदेश के मुखिया से गुहार लगा रहा है। काका, मेरे बेटे को जिंदगी दे दो ….. इसे भी जांजगीर के “राहुल”की तरह अपना लो।