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कांग्रेस के गढ़ में भाजपा की सेंधमारी, 2023 में गढ़ जीतने की तैयारी ! …….खरसिया की कहानी आंकड़ों की जुबानी

Bjp v/s Congress , Election2023 , Politics

खरसिया विधानसभा कांग्रेस का अजेय गढ़ रहा है। अब तक इस सीट पर जीत दर्ज करने की भाजपा की तमाम कोशिशें नाकाम रही हैं। साल 2018 में ओपी चौधरी बड़ी चुनौती के रूप में सामने आए, लेकिन नतीजा एक बार फिर कांग्रेस के पक्ष में ही गया। अब आगामी विधानसभा की तैयारी शुरू हो गई है। जानते हैं – खरसिया विधानसभा का सियासी गणित।
खरसिया सीट पर मौजूदा वक्त में मंत्री उमेश नंदकुमार पटेल का कब्जा है। पिछले चुनाव में आईएएस के पद से इस्तीफा देकर चुनाव मैदान में उतरने वाले भाजपा नेता ओ पी चौधरी ने उनके सामने मजबूत चुनौती पेश की। जीत का परचम तो कांग्रेस ने ही लहराया, लेकिन इस चुनाव ने पहली बार कांग्रेस को पशोपेश में डाला। 2018 के नतीजों पर नजर डालें, तो भाजपा का वोट प्रतिशत बेहतर नजर आया और हार-जीत का अंतर भी पहले के मुकाबले काफी कम रहा। प्रदेश में कांग्रेस की लहर और एकतरफा जीत की वजह से खरसिया में भाजपा का जबरदस्त मुकाबला और कम अंतर से हार-जीत का आंकड़ा राजनीतिक पंडितों के लिए खास हो गया।
2018 की बात करें, तो खरसिया विधानसभा में दर्ज 203609 मतदाता संख्या में वैध मतों की संख्या 178006 रही । उमेश पटेल को कुल 94201 वोट मिले (52.92%) , जबकि चौधरी को 77234 (43.39%) इस तरह 16967 मतों से कांग्रेस को जीत हासिल हुई । वहीं 2013 में इस विधान सभा में कांग्रेस उम्मीद्वार उमेश पटेल को 95470 (59.59%) और भाजपा उम्मीद्वार जवाहर नायक को 56582 (35.32%) वोट मिले। इस तरह कांग्रेस ने 38888 मतों से जीत हासिल की। 2008 में इस इलाके में कांग्रेस को 57.25% जबकि भाजपा को 33.77% वोट हासिल हुए और 33428 मत से कांग्रेस को विजय मिली। 2003 में भी 61.06% वोट हासिल कर 32768 वोट के अंतर से कांग्रेस ने भाजपा उम्मीद्वार को चारो खाने चित्त कर दिया और भाजपा को महज 32.65 फीसदी वोट के साथ संतोष करना पड़ा। आंकड़ों से जाहिर है, कि 2013 से 2003 तक कांग्रेस पर 50 फीसदी से ज्यादा मतदाता भरोसा जताते रहे , वहीं भाजपा के साथ 30- 35 फीसदी मतदाता ही जुड़े। लेकिन 2018 में कांग्रेस के वोट प्रतिशत में भारी गिरावट आई और भाजपा ने 43 प्रतिशत से भी ज्यादा वोटर्स का भरोसा हासिल किया।
ये बात रही आंकड़ों की, जिसने इस इलाके में भाजपा के बढ़ते जनाधार को सामने रखा है। सियासी जानकारों की मानें , तो आगामी चुनाव में खरसिया विधानसभा से ओपी चौधरी दोबारा चुनौती पेश कर सकते हैं और इस बार कांग्रेस को 2018 से भी तगड़ा मुकाबला करना पड़ेगा। दरअसल उमेश पटेल के राज्य सरकार में मंत्री पद संभालने के बाद धीरे-धीरे कांग्रेस कार्यकर्ताओं का एक बड़ा वर्ग नाखुश नजर आने लगा है। सरकार में कद्दावर नेता का खिताब हासिल होने के बाद मंत्री उमेश पटेल से लोगों की अपेक्षाएं बहुत ज्यादा रही है, जिसके पूरा नहीं होने के चलते भी नाखुशी है । इधर भाजपा नेता नाखुश कांग्रेस कार्यकर्ताओं के साथ लगातार संपर्क में होने का दावा कर रहे हैं। उनके मुताबिक इस बार कांग्रेस को हराने में इनकी अहम भूमिका रहने वाली है । पिछले कुछ दिनों से विधानसभा क्षेत्र में रायगढ़ सांसद गोमती साय की सक्रियता खास तौर पर दर्ज की जा रही है। ओपी चौधरी भी इलाके में लगातार अपनी मौजूदगी कराते हुए लोगों के बीच जाकर समस्याओं और समाधान पर विचार करते दिख रहे हैं। इससे साफ जाहिर होता है, कि भाजपा मिशन 2023 का स्विच ऑन कर चुकी है।
खैर चुनाव होने में अभी भी तकरीबन साल भर से ज्यादा का वक्त है। कल कौन किसके साथ होगा ? सियासी समीकरण क्या होगा ? ये अभी से तय करना मुश्किल है। ये बात दीगर है, कि चुनावी रणभूमि में बिगुल बजने से पहले ही भाजपा ने खरसिया इलाके में मोर्चाबंदी शुरू कर दी है।

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