बोल पर खड़े हुए सवाल , मच गया सियासी बवाल , “कैलाश” तक पहुंची “अग्निपथ” की तपिश ….
कहते हैं जिम्मेदार शख्स के लिए “तोल मोल के बोल” मंत्र का इस्तेमाल बेहतर होता है । लेकिन देश के सियासतदानों को इससे कोई वास्ता नहीं । ताजा मामला भाजपा नेता कैलाश विजयवर्गीय का है। उन्होंने “अग्निपथ” योजना की बेहतरी का बखान करते- करते चार साल बाद घर वापसी वाले अग्निवीरों को भाजपा कार्यालय में बतौर सुरक्षाकर्मी नियुक्त करने की बात कर दी । विपक्ष ने इस बयान को लपक लिया और इसे अग्निवीरों का अपमान करार दे दिया । अब उनका ये बयान सियासी मुद्दे में बदल गया है ।
बयान पर विवाद जारी है । अब ये बात दीगर है, कि वीएचयू समेत कई संस्थानों और प्राइवेट एजेंसियों में रिटायर्ड फौजी बतौर सुरक्षाकर्मी सेवा मुहैया कराते हैं । खैर आज की सियासत का फंडा बयान और विरोध ही है ।