राष्ट्रपति भवन के प्रतिष्ठित हॉलों के नाम बदले: अब ‘गणतंत्र मंडप’ और ‘अशोक मंडप’ के नाम से जाने जाएंगे
Edited by; Jyoti Dewangan, Published Date; 25 July 2024
राष्ट्रपति भवन में कुल 340 कमरे हैं। इसके भव्य और ऐतिहासिक महत्व को ध्यान में रखते हुए, दो प्रमुख कक्षों के नाम बदले गए हैं। अब ‘दरबार हॉल’ को ‘गणतंत्र मंडप’ और ‘अशोक हॉल’ को ‘अशोक मंडप’ के नाम से जाना जाएगा। दरबार हॉल, जिसे आजादी से पहले ‘थॉर्न हॉल’ के नाम से जाना जाता था, बाद में इसे ‘दरबार हॉल’ का नाम दिया गया। यह राष्ट्रपति भवन के सबसे भव्य कमरों में से एक है। 1947 में जवाहरलाल नेहरू ने देश के पहले प्रधानमंत्री के रूप में इसी हॉल में शपथ ली थी। इतना ही नहीं, 1950 में डॉक्टर राजेंद्र प्रसाद ने राष्ट्रपति पद की शपथ भी इसी कक्ष में ली थी। यह 42 फीट ऊंची संगमरमर की दीवारों से घिरा एक गोलाकार कक्ष है, जो अपने अद्वितीय वास्तुशिल्प के लिए प्रसिद्ध है।
‘अशोक हॉल’, जिसे अब ‘अशोक मंडप’ के नाम से जाना जाएगा, राष्ट्रपति भवन के आकर्षक और सुसज्जित कक्षों में से एक माना जाता है। यह स्थान महत्त्वपूर्ण समारोहिक आयोजनों के लिए उपयोग में लाया जाता है। इसे पहले स्टेट बॉल रूम के रूप में उपयोग किया जाता था। इस कक्ष की कलात्मकता और भव्यता इसे विशेष बनाती है। यहां पर होने वाले महत्त्वपूर्ण समारोहों में इसकी सुंदरता और ऐतिहासिक महत्व का ध्यान रखा जाता है।
नाम बदलने की यह कवायद ऐतिहासिक और सांस्कृतिक महत्व को पुनर्स्थापित करने का एक प्रयास है। हालांकि, नाम बदलने के पीछे का तर्क मजबूत है, लेकिन इस ऐतिहासिक विरासत की पहचान और उपयोगिता पर इसका कोई असर नहीं पड़ेगा। राष्ट्रपति भवन की ये नई पहचान न केवल भारतीयता को बढ़ावा देने का एक तरीका है, बल्कि आने वाली पीढ़ियों को भारतीय सांस्कृतिक धरोहर की महत्ता से अवगत कराने का भी एक माध्यम है।
राष्ट्रपति भवन, अपने स्थापत्य कला और ऐतिहासिक महत्व के कारण, देश की पहचान और गौरव का प्रतीक बना रहेगा। इन कक्षों का नया नाम उनके महत्व और गौरव को और भी बढ़ाएगा। गणतंत्र मंडप और अशोक मंडप, इन नामों के साथ, राष्ट्रपति भवन का यह नया स्वरूप देश के नागरिकों के दिलों में और भी गहरी जगह बनाएगा। इन परिवर्तनों का उद्देश्य भारतीयता और राष्ट्रीयता को संजोना और बढ़ावा देना है, जो राष्ट्र के लिए एक महत्वपूर्ण कदम है।